गोस्वामी तुलसीदासजी जयंती मनाई गई,,साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुम्बई के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार एवं सम्मान समारोह संपन्न,,

गोस्वामी तुलसीदासजी जयंती मनाई गई।

साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुम्बई के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार एवं सम्मान समारोह संपन्न।
संस्था के महासचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह मुम्बई द्वारा
भारतीय 75 वें स्वतंत्रता दिवस की  हार्दिक शुभकामनाएं दी गई एवं गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती समारोह के पावन अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में आमंत्रित साहित्यकारों एवं संगीतकारों का स्वागत अभिनंदन किया गया। उन्होंने बताया कि साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था द्वारा रामकथा से संबंधित "विश्व मानस कोष" निर्माण के प्रथम खण्ड का विमोचन समारोह दिल्ली या लखनऊ में आयोजित किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल चयन संबंधी एक सप्ताह में सुनिश्चित कर लिया जायेगा।
तत्पश्चात संस्था के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार जी मगध विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी गई एवं गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार समारोह में आमंत्रित साहित्यकारों एवं कलाकारों तथा संस्था के समस्त पदाधिकारियों व सद्स्यों को काव्यात्मक उद्बोधन के साथ हार्दिक बधाई दी गई । उन्होंने अपने सारगर्भित उद्बोधन में श्रीराम चरित मानस की विशेष प्रार्थनीक चौपाई :--
दीन दयाल विरद संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
का शब्दार्थ, भावार्थ एवं लक्षार्थ प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रो.एस.पी. गौतम ( पूर्व कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर एवं मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ) प्रो.गौतम जी ने अपने विज्ञान परक् तत्थ्यात्मक विवेचन में राम चरित मानस के लोकप्रिय चौपाई:--
सीयराम मय सब जग जानी।
करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी।
की अध्यात्मिक अभिव्यक्ति के साथ एक और चौपाई:--
अर्थ धर्म कामादिक चारी।
कहब ज्ञान विज्ञान विचारी।।
की अद्भुत व्याख्या में कहा कि ज्ञान में भक्ति पर अध्यात्म में अनवरत चर्चाएं होती है। उन्होंने यह भी कहा 
जड़ चेतन जग जीव मय,
प्रथम राम मय जानि।
"निराकार से साकार की प्राप्ति " राम ही ब्रह्म है कि साकार ब्रह्म है ।
अभी समय के अभाव के कारण विस्तार से नहीं बता पाऊंगा मैं अभी केवल संदर्भो को ही उल्लिखित करूंगा उन्होंने कहा कि सती जी ने श्रीशिव जी से पूछा यदि ये ब्रह्म हैं तो व्यापकता कैसी? और निर्गुण हैं सगुण कैसे ?
ये एक राजपुत्र हैं जा रहे हैं जंगल में शरीर है और शरीर है तो व्यापक नहीं हो सकता।
तत्पश्चात उत्तर प्रदेश के पूर्व पी.सी.एम.अधिकारी श्री सुरेश चंद्र तिवारी ने कहा आज  हम लोग अष्टशिरोमणी गोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती मना रहे हैं वे चार फल चने का दाल को अर्थ धर्म काम और मोक्ष के समान मानने वाले थे वे
"एक भरोसे एक बल"के मानने वाले थे उन्होंने ने
बारह सद्ग्रथों की रचना की है, जिसमें विश्व वंदनीय श्री रामचरित मानस सर्व श्रेष्ठ है।  
तत्पश्चात श्रीलंका के संस्कृति केन्द्र कोलम्बो से नादिरा श्रीवंती का विडियो संदेश प्रसारित किया गया। तत्पश्चात साहित्य भूषण श्री चन्द्र किशोर, डॉ. किरण त्रिपाठी एवं डॉ. शिरीन कुरैशी आदि साहित्यकारों ने अपने अपने उत्कृष्ट चिंतन प्रस्तुत किए इसी क्रम में छत्तीसगढ़ से श्याम संगीत सृजन संस्थान के संस्थापक एवं अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा के द्वारा गोस्वामी तुलसीदासजी की जीवनी यशगान :--
"हे तुलसी बाबा जी तेरी,
रचना जग में है न्यारी।
बही ज्ञान की धारा जिसमें,
सबको लगती हैं प्यारी।।"
प्रस्तुत किया गया।
मंच संचालन श्री आलोक सिंह भागलपुर एवं पं. रमा शंकर शुक्ल के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। उत्तर प्रदेश प्रभारी श्री सुरेश चंद्र तिवारी ने आभार व्यक्त कर इस अंतरराष्ट्रीय वेबीनार समारोह का समापन किया गया।

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