कवर्धा:- एनएसयूआई ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया शिक्षक दिवस

कवर्धा:- एनएसयूआई ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया शिक्षक दिवस 


कवर्धा( मनोज बंजारे):-- भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन  एनएसयूआई कबीरधाम द्वारा आचार्य पंथ श्री गृन्ध मुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कवर्धा में जनभागीदारी अध्यक्ष मोहित ,सदस्य राकेश तंबोली,दीपक ठाकुर,जय कुमार साहू,हीरेश चतुर्वेदी के सहयोग से शिक्षक दिवस मनाया गया।
      शिक्षक दिवस पर महाविद्यालय के प्राचार्य बी.एस.चौहान,डॉ ऋचा मिश्रा, एस.के.मेहर,दीप्ति टिकरिया,अनिल शर्मा,मंजू लता कोचे,चंदन गोस्वामी,ओ.एन.कुर्रे सबका सम्मान तिलक लगाकर शोल,नारियल,लेखनी भेटकर एवं मुँह मीठा कराया गया।
      एनएसयूआई के विधानसभा अध्यक्ष वाल्मिकी वर्मा ने शिक्षक दिवस पर बताया कि डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1988 को तमिलनाडु प्रांत तिरुमणि गांव के गरीब ब्राम्हण परिवार में हुआ।उनके पिता श्री सर्वपल्ली वीरास्वामी बहुत विद्वान गरीब ब्राह्मण थे। डॉ.सर्वपल्ली जी के बचपन की पढ़ाई उनके गांव में ही हुई।आगे की शिक्षा के लिए क्रिश्चियन मिशनरी तिरुपति में चले गए।1996 से 1900 तक वेल्लूर कॉलेज मद्रास क्रिश्चियन मिशनरी में पढ़ाई किया।उनकी छवि एक मेधावी छात्र के रूप में था।
1906 में दर्शनशास्त्र से एम.ए किया,आदर्श छात्र के रूप में उन्हें छात्रवृत्ति मिलती रही।सबसे पहले 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक बने,1916 में मद्रास के रेसीडेंसी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक बने,1918 मैसूर यूनिवर्सिटी के दर्शनशास्त्र प्राध्यापक बने। तत्पश्चात इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय दर्शनशास्त्र के शिक्षक बने। 
        डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जीवन 40 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणीय योगदान देने वाला रहा है।एक महान विद्वान,व्याख्याता शिक्षाविद,दर्शनशास्त्र के ज्ञाता,आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति,दूसरे राष्ट्रपति के रूप इनका नाम भारतीय इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा है। वे बीसवीं शताब्दी के महान विद्वानों में से एक है,भारतीय संस्कृति और सभ्यता को पूरे भारत और पश्चिमी क्षेत्र में फैलाया।उनका सोच था कि देश में शिक्षकों का दिमाग सबसे अच्छा होना चाहिए क्योंकि देश को बनाने में शिक्षकों का बड़ा योगदान होता है। शिक्षा को बहुत महत्व देते थे,कुछ नया सीखना के लिए प्रेरित करते थे।अनेकों दर्शन शास्त्र की पुस्तक अंग्रेजी में लिखें।स्वामी विवेकानंद जी को अपना गुरु मानते थे,देश की संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं,राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी योगदान देने के लिए भारत सरकार ने इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।
    चालीस वर्ष तक शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले,आदर्श शिक्षक के रूप में इन्हें याद किया जाता है और इनके सम्मान में भारत सरकार ने 5 सितंबर 1962 को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।इसलिए शिक्षक दिवस को डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के याद में व्याख्याता व उत्कृष्ट शिक्षकों को पुरस्कार एवं सम्मान दिया जाता है।
      शिक्षक दिवस के इस शुभअवसर पर शिक्षकों का तिलक लगाकर व पेन भेटकर प्रणाम करते हुये सम्मान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मैं गुरु के बारे में जितना भी कहु बहुत कम है क्योंकि गुरु ही है जो हमें बेहतर बनाने में अपनी महवपूर्ण भूमिका निभती है।समस्त गुरुओं को गुरु दिवस पर अंतर आत्मा से हृदय से नमन,वंदन,प्रणाम करता हूँ।
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        उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अश्वनी वर्मा,जितेंद्र लहरे,माधवेश चंद्रवंशी,देव चंद्रवंशी,गजेंद्र वर्मा,मुकेश सेन,परमानंद वर्मा,कोमल वर्मा,कैलाश साहू, चिंतामणि चंद्रवंशी,भुनेश्वर साहू,रोहित चंद्रवंशी,भूपेश चंद्रवंशी,बसंत जयसवाल,ताराचंद बंजारे,प्रदीप चंद्रवंशी,ज्वाला सिंह,कुलेश्वर साहू, दुर्गेश पनागर,घनश्याम यादव,अनिल पात्रे, राजा ध्रुवे,लूद्धक चन्द्राकर सहित एनएसयूआई के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।।

कवर्धा से मनोज बंजारे की रिपोर्ट

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