जैविक खाद को बढ़ावा दे रहा ढोलनार का गौठानरासायनिक खाद से मुक्ति दिलाकर समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट के साथ तैयार कर रहीं गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र

जैविक खाद को बढ़ावा दे रहा ढोलनार का गौठान
रासायनिक खाद से मुक्ति दिलाकर समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट के साथ तैयार कर रहीं गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र
        सक्ती( 05 जून 2023) :--खेती की जमीन को रसायनिक खाद से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए गौठानों में जैविक खाद एवं गौमूत्र तैयार किया जा रहा है, जिसका उपयोग किसान अपनी खेती-बाड़ी में कर रहे हैं। एक ओर जैविक खाद के उत्पादन से समूह की महिलाएं रसायनिक खाद के दुष्प्रभाव को रोकने का काम कर रही हैं, दूसरी ओर इससे वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से मुनाफा कमाकर स्वरोजगार की ओर बढ़ रही हैं। 
        सक्ती जिले के जनपद पंचायत सक्ती के ग्राम पंचायत जामपाली के सुराजी गांव गौठान ढोलनार में गौठान का निर्माण होने के बाद से ही कान्हा स्व सहायता समूह एवं दीपक स्व सहायता समूह की महिलाएं जुड़कर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का काम कर रही हैं। इन दोनों समूहों द्वारा योजना प्रारंभ से अब तक कुल 2 हजार 790 क्विटल गोबर खरीदी किया गया है। क्रय किये गये गोबर से कुल 466.36 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट एवं 449.70 सुपर कम्पोस्ट उत्पादन करते हुए इसका विक्रय किया गया। जिससे कान्हा समूह को 90 हजार लाभांश एवं दीपक समूह को 95 हजार कुल दोनों समूहों को 1 लाख 85000 हजार रूपए का लाभांश राशि प्राप्त हुआ है। कान्हा स्व सहायता समूह द्वारा गौठान में गौमूत्र खरीदकर ब्रम्हास्त्र का निर्माण कर रहा है। अब तक 1200 लीटर गौमूत्र की खरीदी करते हुए 450 लीटर ब्रम्हास्त्र तैयार किया गया, जिसकी बिक्री कर 22 हजार 500 रूपए की आय अर्जित की। समूह की महिलाओं का कहना है कि जैविक खाद एवं गौमूत्र से बनाए गए ब्रम्हास्त्र का उपयोग किसानों द्वारा किया जा रहा है, जिससे फसलों की पैदावार अच्छी हो रही है, और खेती की जमीन की उर्वरक क्षमता में भी वृद्धि हो रही है। 

सब्जी बाडी में भी अजमाएं हाथ
          समूह की महिलाएं गौठान में आजीविका गतिविधियों से जुड़ते हुए लाभांवित हो रही है। कान्हा स्व सहायता समूह की महिलाएं सब्जी-बाड़ी से भी जुड़ी और इसके उत्पादन से लाभ कमा रही हैं। कान्हा समूह की अध्यक्ष ने बताया कि शासन की सुराजी गांव योजना से उन्हें गौठान चारागाह की जमीन पर सब्जी बाड़ी के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई। समूह को सब्जी बाड़ी लगाने के लिए विभाग से मिले मार्गदर्शन के बाद अच्छी पैदावार हुई। सब्जी के अलावा आलू का उत्पादन हुआ है। जिसमें 8 हजार रूपए की लागत लगाकर 28 हजार रूपए आय प्राप्त की। वहीं दीपक स्व सहायता समूह द्वारा गौठान में मुर्गीपालन का कार्य करते हुए 10 हजार रूपए लगाकर 45 हजार रूपए की आय अर्जित की।

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