कवर्धा:--मजदूरों के आंख से छलके आंसू, वन विभाग के मजदूरों को नही हो पाया मजदूरी भुगतान,,,

कवर्धा:--मजदूरों के आंख से छलके आंसू, वन विभाग के मजदूरों को नही हो पाया मजदूरी भुगतान
कवर्धा(मनोज बंजारे):-- इन दिनों कबीरधाम जिले के वन विभाग का नया कारनामा देखने को मिल रहा है। काम करवाने के बाद भी मजदूरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे ही एक मामला कवर्धा वनमण्डल के अंतर्गत कवर्धा वन परिक्षेत्र का सामने आया है। कवर्धा वन परिक्षेत्र अधिकारी लक्ष्मी नारायण सोनी ने काम कराने के बाद मजदूरों को बजट नहीं होने का हवाला देकर 8 महीने से भुगतान नहीं किया है। दरअसल वन विभाग द्वारा पौधारोपण के लिए नर्सरी तैयार करने वाले मजदूरों को बीते कई माह से उनकी मजदूरी नहीं दी गई है। मजदूर वन विभाग के अधिकारियों व नर्सरी का चक्कर काट रहे हैं लेकिन मजदूरी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में उनके परिवार का खर्च नहीं चल पा रहा है। जबकि मजदूरों को बार-बार मजदूरी के लिए कभी कार्यालय तो कभी कोई निश्चित जगह पर बुलाया जाता है, और बुलाने के बाद अधिकारी मोबाइल बंद कर गायब हो जाते हैं। हाथीडोब के मजदूरों ने बताया कि पौधारोपण के लिए गड्ढे की खोदाई और पौधरोपण सहित नवीन पौधारोपण कार्य कराया गया पर आठ माह बाद भी मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं दी गई है। मजदूर के द्वारा लगातार अधिकारियों से मजदूरी भुगतान की मांग करते आ रहे हैं पर अधिकारी के द्वारा आज और कल भुगतान करने का हवाला देकर मजदूरों का भुगतान रोके बैठे हैं। 
वहीं हाथीडोब के मजदूर कमलेश साहू, योगेश धुर्वे, दीपचंद साहू, हरीश यादव, तीजराम धुर्वे, रवि यादव, भुनेश्वर धुर्वे सहित अन्य मजदूरों ने बताया कि 8 महीना से मजदूरी करवाने के बाद भी मजदूरी भुगतान नहीं किया गया है। इन्ही भुगतान के लिए आज मजदूर सुबह से ही कवर्धा रेंजर लक्ष्मी नारायण सोनी के निवास पर डटे थे। उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे वे सभी अधिकारी के घर पहुंचे तो उनके घरवालों ने अधिकारी को पूजा पाठ में व्यस्त होने और थोड़ा इंतजार करने को कहा गया। कई घंटे इंतजार के बाद फिर उन्हें बताया जाता है कि साहब घर पर नहीं है और बाद में आने बोल दिया जाता है। इधर अधिकारी के द्वार पर आस लगाए बैठे मजदूर साहब के बाहर आने की राह ताक रहे थे कि उनके बाहर होने की सूचना मिलते ही उनकी उम्मीद पर पानी फिर गई फिर भी शाम 6 बजे तक मजदूर आस में बैठे रहे की साहब आयेंगे और उन्हें उनकी मजदूरी देंगे। हताश बैठे मजदूरों को रात 8 बजे खाली हाथ घर वापस लौटना पड़ा।
 दीपावली है लेकिन जेब में एक पैसा नहीं

हाथीडोब के मजदूरों ने बताया कि दीपावली का त्यौहार आ गया है लेकिन अब तक मजदूरी नहीं मिला है। दीपावली के त्यौहार में बच्चों और परिवार वालों के लिए पटाखे और नए कपड़े तो दूर की बात है घर में खाने का एक दाना भी नहीं है।

 मजदूरी के पैसों के लिए बार-बार लगवाते हैं चक्कर

मजदूरों ने आगे बताया कि 8 महीने काम करने के बाद मजदूरी के पैसों के लिए बार-बार कवर्धा आना पड़ता है, लेकिन फिर भी भुगतान नहीं हो पता। कई बार तो सुबह 6:00 बजे से लेकर रात को 10:00 बजे तक भी बैठे रहते हैं लेकिन फिर भी भुगतान नहीं हो पता।
कर्जदार कर रहे हैं बार-बार परेशान

मजदूरों ने बताया कि अनाज और राशन के लिए पैसे नहीं थे तो दूसरे से कर्ज लेना पड़ा है। एक निश्चित समय के बाद हमारे द्वारा कर्ज के पैसे नहीं चुकाने पर कर्जदार भी पैसे के लिए बार-बार परेशान कर रहा है।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि मजदूरों को भुगतान होता है कि नहीं, की मजदूर खाली पेट अपनी तकलीफों के साथ ही दिवाली मनाएंगे।

 इस संबंध में रेंजर लक्ष्मी नारायण सोनी से संपर्क करने की कोशिश किया गया लेकिन उनका मोबाइल नंबर बंद था इसलिए संपर्क नहीं हो पाया।

इस संबंध में डीएफओ से जानकारी लेने के लिए जब फोन किया गया तो उनके द्वारा कोई जवाब नहीं देते हुए फोन कट कर दिया गया।

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